लेखनी कहानी -14-Nov-2022# यादों के झरोखों से # मेरी यादों की सखी डायरी के साथ
हैलो सखी
कैसी हो। बात 16 अप्रैल की है। मुझे या
।हमे कल ही शैलेश जी(शब्द डाट इन के प्रतिनिधि) का दूरभाष के माध्यम से संदेश प्राप्त हुआ कि डायरी लेखन प्रतियोगिता का इनाम हमे भेज दिया गया है।मन बहुत प्रसन्न है इनाम चाहे एक रुपए का हो या एक लाख का। ईनाम ईनाम होता है।बस हमे डर है कही पतिदेव के हाथ न लग जाए। क्यों कि उन्हें हमारा लिखना पसंद नही है।जो भी लिखती हूं उनसे चोरी छुपे लिखती हूं। उन्हें ये तो पता है मै लिखती हूं पर वो मुझे लेखिका मानने से सिरे से नकारते हैं।कहते है तुम और लेखिका हा हा।जब कि मै एक दूसरे मंच पर बहुत बार दैनिक प्रतियोगिता में जीत चुकी हूं और स्टोरी मिरर पर आथर आफ द वीक भी घोषित हुई हूं पर महाशय है कि मानते ही नही कि हम लेखिका हे । भगवान जाने हमारे आगे बढ़ने से उन की मैन इगो हर्ट होती है शायद।
जब ही तो मै कह रही थी कि काहे का वुमनस डे। हम औरते एक दूसरे को बधाई दे कर मन को तसल्ली दे देते है कि हम सब स्वछंद है पर कहां बेड़ियां तो पैरों मे पडी है पहले बाप और भाई का डर फिर पति और बेटे का डर।जिस निरंकुश को औरत पैदा करती है वही पुरुष उसे डर के साये मे रखता है वाह! री अबला तुम सबला कभी बनोगी या सबला बनने का दंभ ही भरती रहोगी।जरा सी स्वछंद पंछी की तरह उड़ना चाहोगी तो पर काट दिए जाएंग तुम्हारे।कभी बाप भाई के हाथ तो कभी पति बेटे के हाथ बस यही जीवन है तुम्हारा।अब बस सखी जी भर आया हे जाते जाते मेरा नमस्कार स्वीकार करो। अलविदा
Arina saif
03-Dec-2022 06:19 PM
Bahut khub
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Abhinav ji
03-Dec-2022 07:54 AM
Very nice mam aap likha kijiye. Bhale hi chhup kar hi kyo na likhna ho.
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